Top latest Five hanuman chalisa Urban news

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व्याख्या – मनुष्य के जीवन में प्रतिदिन–रात्रि में चारों युग आते–जाते रहते हैं। इसकी अनुभूति श्री हनुमान जी के द्वारा ही होती है। अथवा जागृति, स्वप्न, सुषुप्ति एवं तुरीय चारों अवस्थाओं में भी आप ही द्रष्टारूप से सदैव उपस्थित रहते हैं।

भावार्थ – आपने वानर राज सुग्रीव का महान् उपकार किया तथा उन्हें भगवान् श्री राम से मिलाकर [बालि वध के उपरान्त] राजपद प्राप्त करा दिया।

Placing the ring of Rama in the mouth, you jumped and flew around Ocean to Lanka; there is no shock in that.

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व्याख्या — श्री हनुमन्तलाल जी समग्र विद्याओं में निष्णात हैं और समस्त गुणों को धारण करने से ‘सकल–गुण–निधान’ हैं। वे श्री राम के कार्य सम्पादन हेतु अत्यन्त आतुरता (तत्परता, व्याकुलता) का भाव रखने वाले हैं। क्योंकि ‘राम काज लगि तव अवतारा’ यही उद्घोषित करता है कि श्री हनुमान जी के जन्म का मूल हेतु मात्र भगवान् श्री राम के हित कार्यों का सम्पादन ही है।

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हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥३५॥ सङ्कट कटै मिटै सब पीरा ।

क्या सच में हनुमान चालीसा नहीं पढ़नी चाहिए?

हर बाधाओं को दूर करने हेतु, तनाब मुक्त रहने के लिए, यात्रा प्रारंभ से पहले, बुरी आत्माओं से मुक्ति के लिए, शनि के प्रकोप से बचने हेतु एवं मनोकामनाएं सिद्धि के लिए श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें।

सुगम अनुग्रह तुह्मरे तेते ॥२०॥ राम दुआरे तुम रखवारे ।

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व्याख्या – भजन का मुख्य तात्पर्य यहाँ सेवा से है। सेवा दो प्रकार की होती है, पहली सकाम, दूसरी निष्काम। प्रभु को प्राप्त करने के लिये निष्काम और निःस्वार्थ सेवा की आवश्यकता है जैसा कि श्री हनुमान जी करते चले आ रहे हैं। अतः श्री राम की हनुमान जी जैसी सेवा से यहाँ संकेत है।

व्याख्या – श्री हनुमान जी महाराज की शरण लेने पर सभी प्रकार के दैहिक, दैविक, भौतिक भय समाप्त हो जाते हैं तथा तीनों प्रकार के आधिदैविक, आधिभौतिक एवं आध्यात्मिक सुख सुलभ हो जाते हैं।

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